GULSHAN AUR GULZAR
Hindi poetry.
Sunday, 18 May 2014
साथ लिया जाऊँगा
मैं हिमालय हूँ
मेरी गहराईयों में खो जाओगे
मैं सागर हूँ
दिखाऊँगा मेरी उँचाई क्या है
मैं पवन हूँ
क्या तुम मुझे कैद कर पाओगे
मैं किरण हूँ
बह चला हूँ अपनी वेग से
मैं लहर हूँ
मेरी संगीत से क्यों डरते हो
मैं नदी हूँ
तुम्हे भी साथ लिया जाऊँगा
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